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Happy Holi

जिंस पैंट और
टी शर्ट में,
घूम रही थी एक गोरी,
नाम पूछा तो
बोलती है,
है वो होली |

मैंने पूछा, तो बताओ
कहाँ है रंग,
कहाँ है गुलाल?
सुन ये वो हँस पडी,
और बोली-
नीली है जिंस
पीली है ये टी शर्ट,
सुर्ख हैं मेरे गाल,
क्या नहीं दिखते तुम्हे
रंग ये लाल ?


अरे वो नासमझ
इक्किसवीं सदी है ये
समय का है अभाव
रंगो का ऊचाँ है भाव
पर्यावरण प्रदुषण मुक्ति
आदोंलन का है ये प्रभाव,
केबल के रस्ते
अब हो रहा है
रंगो का बहाव,
इठला कर होली ये बोली,
खेल रहे हैं लोग अब केवल
साईबर होली |

इस आधुनिक युग में
दुरियाँ तो गयी हैं घट,
पर फासँला दिलों
का बढ गया है अब,

रफ्तार की इस दुनियाँ में
होली अपना महत्व खोने लगी,
और सोच अपने भविष्य को,
होली की आँखे नम होने लगीं ||

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